।। श्री गणेशाय नमः। हरि ॐ। श्री मात्रे नमः। शिवाय नमः। ॐ सूर्याय नमः ।।
आने वाले पुण्य पवित्र श्रावण मास की आपको हार्दिक शुभेच्छा ।
विशिष्ट अनुष्ठान
वन्दे काशी साधना अभियान का एकमात्र लक्ष्य शास्त्र सम्मत विधि एवं श्रद्धा भक्ति के द्वारा उस विभिन्न रुपी सच्चिदानंद भगवान की अर्चना-सेवा-साधना करना है।
गत वर्षों की तरह इस दिव्य काल में ‘वन्दे काशी साधना’ अभियान के अंतर्गत मोक्षदायिनी काशी क्षेत्र स्थित विभिन्न पुराणिक मंदिरों में शास्त्रीय विधान द्वारा श्रावण मास के हर एक दिन भगवान सदाशिव का पूजन एवं रुद्राभिषेक का आयोजन किया गया है।
साथ ही महत्वपूर्ण तिथिओं पर: दोनों चतुर्थी – गणेशजी, दोनों एकादशी – विष्णुजी, नाग पंचमी – नाग देवता, भगवान कल्कि जयंती; इन पर विशिष्ट पूजन किया जाएगा
इस प्रकार 36 विशिष्ट पूजनों का संकलन!
दैनिक अभिषेक से पहले प्रत्येक यजमान और उनके समस्त परिवार के लिए त्रिविध ताप, नवग्रह शांति एवं दोषों के निवारण हेतु, मनोकामना पूर्ति, प्रभु की प्रीति और साथ ही विश्व शान्ति के लिए प्रार्थना संकल्प लिया जाएगा |
यह दिव्य कार्यक्रम आप सज्जन यजमानों के सामूहिक संकल्प के द्वारा ही संभव होगा |
दिन के अंत में पूजन का आशीर्वाद, फोटो एवं यथासंभव वीडियो व्हत्सप्प के द्वारा साझा किया जायेगा।
अधिक जानकारी के लिए पंडितजी से संपर्क करें। यदि आप इस कार्यक्रम में जुड़ना चाहें तो आचार्य जी को फ़ोन कर संकल्प ले लेवें।
आपसे निवेदन है की यथासंभव आप भी 30 रूद्राभिषेकों के इस सात्विक प्रयास में जुड़ें और बाकि लोगों को भी प्रेरित करें|
सहयोग सेवा राशि:
पूर्ण श्रावण मास – 36 विशिष्ट पूजाओं का संकलन – ₹ 11,001/-
आधा श्रावण मास – 15 विशिष्ट पूजाओं का संकलन – ₹ 5,001/-
UPI: chaturvediswarnpratap@okhdfcbank
पंचांग / कार्यक्रम
श्रावण मास
- प्रत्येक (30) दिन भगवान शिव का पूजन, रुद्राभिषेक, श्रृंगार इत्यादि
- जुलाई 24, बुधवार – गजानन संकष्टी चतुर्थी – भगवान गणेश पूजन, सहस्र दूर्वा अर्चन सहित सहस्रनाम पाठ
- जुलाई 31, बुधवार – कामिका एकादशी – भगवान शालीग्राम एवं भगवान शिव का अभिषेक एवं सहस्र तुलसी अर्चन
- अगस्त 01, गुरूवार – प्रदोष व्रत – भगवान शिव का विधिवत उपचार पूजन एवं रुद्राभिषेक
- अगस्त 08, गुरूवार – विनायक चतुर्थी – भगवान गणेश पूजन, सहस्र दूर्वा अर्चन सहित सहस्रनाम पाठ
- अगस्त 09, शुक्रवार – नाग पंचमी – नाग देवता का विधिवत पूजन अर्चन
- अगस्त 10, शनिवार – भगवान कल्कि जयंती – भगवान शालीग्राम का अभिषेक एवं सहस्र तुलसी अर्चन
- अगस्त 11, रविवार – तुलसीदासजी जयंती समारोह – गोस्वामीजी का पूजन (उन्हीं के मंदिर में)
- अगस्त 16, शुक्रवार – पुत्रदा एकादशी – भगवान शालीग्राम एवं भगवान शिव का अभिषेक एवं सहस्र तुलसी अर्चन
- अगस्त 17, शनिवार – प्रदोष व्रत – भगवान शिव का विधिवत उपचार पूजन एवं रुद्राभिषेक
- अगस्त 19, सोमवार – पूर्णिमा, श्रावणी (यजुर्वेद उपाकर्म), भगवान हयग्रीव जयंती – भगवान हयग्रीव की सेवा में विष्णु सहस्रनाम पाठ, उपाकर्म स्वतः कीजिये
श्रावण मास की महिमा
पौराणिक मान्यता के अनुसार श्रावण महीने को देवों के देव महादेव भगवान शंकर का महीना माना जाता है। इस संबंध में पौराणिक कथा है कि जब सनत कुमारों ने महादेव से उन्हें श्रावण महीना प्रिय होने का कारण पूछा तो महादेव भगवान शिव ने बताया कि जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में योगशक्ति से शरीर त्याग किया था, उससे पहले देवी सती ने महादेव को हर जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया था।
अपने दूसरे जन्म में देवी सती ने पार्वती के नाम से हिमाचल और रानी मैना के घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया। पार्वती ने युवावस्था में श्रावण महीने में निराहार रहकर कठोर व्रत किया और उन्हें प्रसन्न कर विवाह किया, जिसके बाद ही महादेव के लिए यह विशेष हो गया।
श्रावण में शिवशंकर की पूजा
श्रावण के महीने में भगवान शंकर की विशेष रूप से पूजा की जाती है। इस दौरान पूजन का प्रारम्भ महादेव के अभिषेक से होता है। अभिषेक में महादेव को जल, दूध, दही, घी, शक्कर, शहद, गंगाजल, गन्ना रस आदि से स्नान कराया जाता है। अभिषेक के बाद बेलपत्र, समीपत्र, दूब, कुशा, कमल, नीलकमल, ऑक मदार, जंवाफूल कनेर, राई फूल आदि से शिवजी को प्रसन्न किया जाता है। इसके साथ की भोग के रूप में धतूरा, भाँग और श्रीफल महादेव को चढ़ाया जाता है।
महादेव का अभिषेक
श्री रुद्रम एक प्राचीन मंत्र संकलन है जिसे आकाश (अंतरिक्ष) से ऋषिओं द्वारा प्राप्त किया गया था।
कैवल्य उपनिषद में कहा गया है कि यह सभी पापों को मिटा सकता है और सभी के लिए ‘प्रायश्चित’ है।
ज्योतिष शास्त्रों ने इसे कई ग्रह दोषों के लिए एक उपाय के रूप में बार-बार निर्धारित किया है। चाहे आप शांति या समृद्धि, संतान या पेशे में प्रगति, स्वास्थ्य या धन चाहते हों, रुद्राभिषेक पूजा एक सिद्ध साधना प्रयास है।
साथ ही यह पूरे वातावरण को भी शुद्ध करता है और सब प्रकार से महा कल्याणकारी है ।
महादेव का अभिषेक करने के पीछे एक पौराणिक कथा का उल्लेख है कि समुद्र मंथन के समय हलाहल विष निकलने के बाद जब महादेव इस विष का पान करते हैं तो वह मूर्च्छित हो जाते हैं। उनकी दशा देखकर सभी देवी-देवता भयभीत हो जाते हैं और उन्हें होश में लाने के लिए निकट में जो चीजें उपलब्ध होती हैं, उनसे महादेव को स्नान कराने लगते हैं। इसके बाद से ही जल से लेकर नाना प्रकार के द्रव्यों से महादेव का अभिषेक किया जाता है।
रुद्राभिषेक पूजा के लाभ
- स्वास्थ्य समस्याओं का उन्मूलन
- स्वस्थ मन और सकारात्मक भावना का विस्तार
- दोषों और कुंडली संबंधी बाधाओं का निवारण
- शिक्षा, नौकरी और करियर में सफलता
- सौहार्द्रपूर्ण संबंध
- वित्तीय परेशानियों का उन्मूलन
- कुटुंब में शांति और सद्भावना
- आध्यात्मिक उत्थान